श्री सिद्धि माँ

 





श्री सिद्धि माँ 

पाँच वर्ष की आयु मे आनंदी माँ ने उन्हें गले लगाया 

'यह तो जगत की माता है' कह उनका ह्रदय भर आया।

हिमालय की गोदी मे, अल्मोड़ा की बेटी थीं हरिप्रिया 

मिलीं जब बाबा नीम करोली से, सिद्धि माँ नाम उनको मिला।

गाती वह गीत, सुनकर बह जाते बाबा के नीर 

मगन हो जाते सब ध्यान मे,

ऐसा भाव था उनके गान मे।

कैंची धाम मे, महाराज जी के पास, 

जयंती माँ के संग करतीं थीं निवास।

सफ़ेद धोती और दोशाला पहने,

देवी स्वरुप भाव थें उनके गहने।

माँ अन्नपूर्णा समान बनाती प्रसाद, 

पाते सब कर श्री राम को याद।

देवभूमि मे कराया मंदिरो का निर्माण, 

पूजा जाप होते जहाँ रामायण और पुराण।

निराश मन मे आशा जगातीं, राह दिखाए अंजानो को।

सिद्धि माँ के आया जो निकट,

दिव्य प्रेम उनमे हुआ प्रकट।

दुर्गा माता, काली, कत्यायनी, माँ जगदम्बा 

कलयुग मे अवतार लिया बन कर सिद्धि माँ।

स्वयं हनुमान आयें उस दिव्य चेतना के पास,

इस पृथ्वी पर जहाँ था श्री सिद्धि माँ का वास।



सृष्टि सिंह 



Comments

Anonymous said…
Beautifully Penned
Anonymous said…
What a great piece

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