सुबह 


थोड़ा व्ययाम, 

छोड़ कर आराम,

मुद्रा योग के कुछ, 

छुड़ा दे जो बुद्धि तुच्छ।


चिड़ियों की चहक से,

फूलों की महक से,

जिह्वा पर हो  प्रभु 

ऐसी हो सबकी सुबह शुरू। 


सृष्टि सिंह 



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