गुलाब 

पंखुडिया गुलाब की खिल गयीं 

खुशबू गुलाबी हवा में मिल गयी।  

माटी पर जा गिरा जब वह फूल,

वीर सैनानी की जहाँ पड़ी थी धुल। 


सृष्टि सिंह 



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