चमत्कार की शक्ति


चमत्कार की शक्ति 

इसका न कोई अंत

सारे संदेह का करती विध्वंस।

खाली  हो जाता मन 

सूक्षम हो जाते विचार

चमत्कार की शक्ति

चमकती जैसे तलवार।

अँधेरा चीरती  जैसे 

बिजली की धार

चौका देती चमत्कार।

थमाती  अद्भुत प्रसाद

जिसका न  हमको होता आभास,

देवत्व को निखारती 

हमारे भीतर ही करती

चमत्कार की शक्ति निवास।


सृष्टि सिंह 



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