🌺वनमाली🌺
ज़िंदगी का चमन रहे सदा ग़ुलज़ार
चाहे पतझड़ हो या हो बहार
खुशियों की कलिया खिलती रहें
ख़ुशबू उनकी सबको मिलती रहें।
खुले आसमान के नीचे
बिछी जहाँ मिट्टी के गलीचे
कुछ फूल मुरझाए तो क्या
कही फल न आये तो क्या।
है चमन को सीचने वाला जब वनमाली
किसी वृक्ष की इक्षा कैसे जायेगी खाली
जड़ो को हिलने न देगी धरती माँ
सीचेगी हृदय से उसको सदा
पंच तत्व करेगी उसकी सेवा।
ऋतु वर्षा की हो या कठोर धूप
वनमाली ही चमन को सजायेगा
देकर उसको अपना दिव्य रूप।
सृष्टि सिंह
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